- गोर साहित्येरो | हिरा भिम्णीपुत्र
- सबेरे सन्मित्र | बापू एकं
- नानक्या मोठेरो | सेरोचं सोबती
- साहित्येनं गती | देरे बापू
- समाजेरी जाणं |लखणीरो मंत्र
- शांततारो तंत्र | जाणं बापू
- कुणसोचं क्षेत्र | छुटो कोनी कती
- तल्लकं छं मती |बापू तारी
- नसाबी विशेष | संस्कृती संकेत
- गोरमाटी ग्रंथ | लखो बापू
- क्रांतिसिंह सेवा | दास तोडावाळो
- गोरुनं दकाळो | बापू मारो
- तुकारी मारनं | गोरुनं बलायो
- एकीरं वजायो | टाळी बापू
- गोरीपान भाषा | सौंदर्येर बोली
- मिठी लागं पोळी | बापू तारी
- मारोणी सिडचं | लावणं पिवशी
- दिनो खुशी खुशी | बापू सेनं
- कळी कोनी केनी | वातं वो मनेरी
- मुंगारे मोलारी | बापू तारी
- गोरमाटी बोली | भाषा आविष्कार
- सामाजिक सारं | दिनो बापू
- बापूरो जिवडा | गचपं बेसेनी
- थोडाही थकेनी | बापू मारो
- कठिण कामेमं | याडी दिनी साथं
- सेवा दन रातं | याडी करं
- शेवंता याडीरो | शेवंती सुगंध
- घणो भरो गंध | जीवणेमं
- जलम दनेरी | बापूनं शुभेच्छा
- सकेरी अपेक्षा | सेवा कनं
- खूब मळं आयु | गोर सेवा घडं
- उचं उचं चडं | आलेखचं
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- बापूनं जलमदनेर मंगलमय आभाळभर शुभेच्छा..!
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- -पि के पवार
- सोनाळा बुलढाणा